Wednesday, January 15, 2020

सर्दियों सा इश्क हमारा ,

सर्दियों सा इश्क हमारा ,
ढूंढता है, 
प्यार की वही गुनगुनी धूप ,
चहकता, इठलाता, इतराता यौवन ,
पहाड़ी के उस छोर पर ,
जहां सूरज के साथ

 प्रेम की किरण उगी  थी,
और प्रस्फुटित हुआ था,

रिश्तों का संसार,
मैं वहीं हूँ ,
मैं वही हूँ,
वही हवायें हैं ,
वही फिजायें हैं ,
और

सर्द सुबह है,
नहीं है तो बस ! 
तुम.....
और …साथ… तुम्हारा ….
****शिव प्रकाश मिश्रा *****
जनवरी 15, 2020 

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