जया बच्चन जी को समर्पित
तुम इतना क्यों तिलमिला रहे हो ?
क्या राज है जो छुपा रहे हो?
भैया हमारे थे तों शराबी,
पान बनारस का खा रहें हैं ,
भंग के रंग में घूम-घूम कर,
ठुमके भी खूब लगा रहें हैं,
कौन है वे जो ड्रग्स ले रहे हैं?
तुम उनको क्योंकर बचा रहे हो?....१.
तुम्हारे दलदल के एक नेता,
जो जेल में चैन फरमा रहे हैं,
रंग जांघिया जयाप्रदा का ,
बता बता मुस्कुरा रहे हैं,
छलनी है ये तुम्हारी दुनिया,
थाली जिसे तुम बता रहे हो ?
स्मृति ईरानी को भी नचनिया ,
बता दिया था वहीं किसी ने,
तुम चुप रही जब कंगना को,
हरामखोर बोला था किसी ने,
उचित नहीं है संसद के सदन से,
तुम सबको क्यों धमका रहे हो ?...३.
नहीं रही वह अब फिल्मी दुनिया,
ना ही गुड्डी न चक्कू छुरिया,
अब हैं पीके बजरंगी भाईजान,
शान हो गया, माय नेम इज खान,
कितना सहेगा अब और हिंदू,
क्यों धर्म मोहरा बना रहे हो ?...४.
बने नास्तिक, शिकवा नहीं है ,
786 प्रेम पर अचरज नहीं है ,
पूछती हैं खता क्या है राम लला की,
मजारों से सब चादरें बच्चनों की ?
बने भव्य मंदिर अयोध्या में जिनका,
तुम क्यों नहीं कुछ कह पा रहे हो ?.. ५..
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******** शिव प्रकाश मिश्रा ********
२२ सितम्बर २०२०