ऐ उड़ते हुए काले बादल इतनी मेहरवानी करना,
पहले जाकर मेरे गाँव में बारिश करना,
पहले जाकर मेरे गाँव में बारिश करना,
दर्द और खुशियों का साथी रहा मेरा वह कच्चा मकान,
पहले जाकर उसे मेरा प्रणाम कह देना,
पहले जाकर उसे मेरा प्रणाम कह देना,
गिर न जाय कहीं मेरे बिना गस खाकर इस बारिश में,
उसकी उम्र का थोडा लिहाज कर देना,
उसकी उम्र का थोडा लिहाज कर देना,
किश्तियाँ कागज
की मेरे हांथों से बनी,
होंगी इस पार या उस पार कहीं, मेरी यादों में सनी,
होंगी इस पार या उस पार कहीं, मेरी यादों में सनी,
ढूंढना मेरी निगाहों से, उसी हसरत से उन्हें चुन लेना,
फिर उन्हीं हाथों से, मेरे चौपाल में तैरा देना,
फिर उन्हीं हाथों से, मेरे चौपाल में तैरा देना,
मेरे बगीचे में बचे होंगे अब सिर्फ बांस और बबूल,
जो भी हों सबको सलीके से नहला देना,
जो भी हों सबको सलीके से नहला देना,
गाय बांधी थी नीम के नीचे खुले मौसम में मैंने,
भीग न जाय कहीं, उसको भी छप्पर में बंधवा देना,
भीग न जाय कहीं, उसको भी छप्पर में बंधवा देना,
एक गौरैया भी रहती
है मेरे घर-आंगन में,
भूखी रह जाय न वह इस बारिश में, कुछ दाने वहीं डलवा देना,
मंदिर के चबूतरे पर मेरे दोस्त लोटते होंगे,
प्रेम से खूब भिगोना उनको पहले, मैं न आऊंगा फिर बतला देना,
भूखी रह जाय न वह इस बारिश में, कुछ दाने वहीं डलवा देना,
मंदिर के चबूतरे पर मेरे दोस्त लोटते होंगे,
प्रेम से खूब भिगोना उनको पहले, मैं न आऊंगा फिर बतला देना,
जश्ने-बारिश मनाएंगे सब किसी बगीचे में,
आम आंधी के अब नसीब में नहीं मेरे, मेरा हिस्सा भी वहीं बंटवा देना..
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- शिव प्रकाश मिश्रा
मुम्बई, १७.०६.२०१९
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आम आंधी के अब नसीब में नहीं मेरे, मेरा हिस्सा भी वहीं बंटवा देना..
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- शिव प्रकाश मिश्रा
मुम्बई, १७.०६.२०१९
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