Thursday, October 3, 2013

रिश्ते और रास्ते

रिश्ते प्यार के,

 रस्ते पहाड़ के ,

 आसान तो बिल्कुल नही होते,

 कभी आंधी, कभी तूफान,

 कभी धूप, कभी छाँव ,

 तो कभी साफ आसमान नहीं होते . 

 थोड़ी सी बेचैनी से

 सैलाब उमड़ते हैं  अक्सर,

 आंखे भी निचोड़ी जाय,

 तो कभी आँसू नहीं होते

 प्यार एक धर्म है,

 मर मिटने का ,

 जिसके हर कर्म मे मर्म है

 पर हर कर्म के

 विधि, विधान नही होते,

 भावनाओं की भी ,

 बैलेंस शीट बनाता है कोई ?,   

 लाभ भी अनुपातिक होगा ,

 ये आश लगाता है कोई ?,

 कौन समझा है किसे ?

 ये समझना तो बहुत मुश्किल है,

 और समझेगा भी  कितना ?

 ये  हालात पर निर्भर है ,

सच्चाई क्या है ?

 कुछ  अहसास  नहीं देती  है 

 अब तो अपनी ही नजर,

 काफी कमजोर हुई लगती है,   

 दिल है बहुत बोझिल,

 मगर गनीमत है, कुछ है इसमे,

 वरना  बेचैन शहर है ये ,

 अपने खालीपन मे ॥   

 ***********************

          - शिव प्रकाश मिश्रा

2 comments: