Friday, January 1, 2021

नव वर्ष २०२१ का स्वागत

 

नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,  व्याकुलपन से  चिंतित मन से,

जो बीत गया  वह बीस पड़ा, जीवन के  सारे   वर्षों  पर.

हम कैद रहे अपने घर में, हैं अलग-थलग अब भी सबसे, 

जो जीवन भर  न सोचा था वह देख लिया घटता सब पर..

 

यह वर्ष  कोरोना कहलाएगा, इतिहास डराएगा इससे, 

डस  गया कोरोना लगता है, हर लक्षण की हर आहट पर.

इंतजार नहीं, भय लगता है, दिन कटता है,भारी मन से,

न डरे कभी  थे हम इतना, और ना  ही छिपे  थे घर आकर..

 

है मास्क जरूरी दो गज दूरी, घिस गए हाथ धोते धोते   ,

हर समय यही बस लगता है,आ गया इधर, आ गया उधर.

डर नहीं मौत आने का है, बस पीड़ा है तन्हाई बन जाने से,   

गैरों  से तो हम  मिलें नहीं, अपना न कोई  आया चलकर.. 

 

 बीस पर तुम तो हो इक्कीस, शुरू हो खुशियों के अभिनंदन से, 

 रहे न भूखा अब कोई  श्रमिक,  मिले सबको वांछित रोजगार,

खुले सबकी अपनी  कैद, मुक्ति हो  कोरोना कोहराम  से,

अर्थ का चक्र बने गतिशील, बने सब और ये  देश आत्मनिर्भर .

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- शिव मिश्रा

१ जनवरी २०२१,

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