क्या कभी कोई
अपना सिर
अपनी ही गोद में रख कर सोया है ?
या
अपना सिर
अपने ही कंधे पर रख कर रोया है ?
क्यों ?
कोई ?
नहीं चाहता कभी,
कोई ?
नहीं चाहता कभी,
अपना सुख दुःख,
स्वयं में समेटे रखना,
अपने में जीना,
अपने में मरना,
और गुमनामी लपेटे रखना,
अपने में जीना,
अपने में मरना,
और गुमनामी लपेटे रखना,
क्यों ?
इसीलिए
क्या
इसीलिए
क्या
रिश्ते जन्म लेते हैं ?
और
और
हमेशा अहम् होते हैं ?
रिश्ते,
अंकुरित होते हैं ?
उगते हैं ?
पनपते हैं ?
बनते हैं ?
या प्रकट होते हैं ?
पता नहीं,
क्यों ?
परन्तु
परन्तु
हमेशा अच्छे लगते हैं,
और जरूरी भी,
क्यों ?
शायद..कुछ को
हम कभी नहीं समझते,
शायद..कुछ को
हम कभी नहीं समझते,
और कोशिश,
भी नहीं करते.
भटकते है,
लिये
एक कंधे की चाहत,
लिये
एक कंधे की चाहत,
और
अपना कन्धा खाली रखने की आदत,
क्यों ?अपना कन्धा खाली रखने की आदत,
बने रहना चाहते हैं हम ,
बीज
सब आत्मसात हैं जिसमे,
ऐसा रिश्ता,
जड़, तना और पत्ते
सब साथ साथ है जिसमे,
क्यों ?
एक नन्हा पौधा,
बढ़ना जिसकी नियति है,
दूर दूर होकर बढ़ जाना,
दोहराया जाता है,
बार बार -
ये इति हा आस ?
ऐसा रिश्ता,
जड़, तना और पत्ते
सब साथ साथ है जिसमे,
क्यों ?
फिर सब मिल बनाते है
बढ़ना जिसकी नियति है,
और
बढ़ कर दूर दूर हो जाना,
यादूर दूर होकर बढ़ जाना,
जिसकी परिणित है,
क्यों ?दोहराया जाता है,
बार बार -
ये इति हा आस ?
'इतिहास' जो नहीं है.
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