जुल्फों की छाँव में,
सपनो के गाँव में,
अधरों को ढूड़ता,
नन्हा सौगात हो.
घर में जमात में ,
दिल में दवात में,
बचपन से खेलता,
जवानी का हाथ हो.
आँखों से आँखों में,
टूटती सांसो में ,
कस्तूरी महकते ,
अपने जजबात हों .
सावन के झूलों में,
वर्षा की बूंदों में,
प्रेम से भीगते ,
हम एक साथ हों ..
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शिव प्रकाश मिश्र
मूल कृति अगस्त १९८१
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सपनो के गाँव में,
अधरों को ढूड़ता,
नन्हा सौगात हो.
घर में जमात में ,
दिल में दवात में,
बचपन से खेलता,
जवानी का हाथ हो.
आँखों से आँखों में,
टूटती सांसो में ,
कस्तूरी महकते ,
अपने जजबात हों .
सावन के झूलों में,
वर्षा की बूंदों में,
प्रेम से भीगते ,
हम एक साथ हों ..
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शिव प्रकाश मिश्र
मूल कृति अगस्त १९८१
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