Tuesday, February 23, 2016

सिर्फ तेरा साथ हो..

जुल्फों की छाँव में,
 सपनो के गाँव में,
 अधरों को ढूड़ता,
 नन्हा सौगात हो.

घर में जमात में ,
दिल में दवात में,
 बचपन से खेलता,
जवानी का हाथ हो.

आँखों से आँखों में,
 टूटती सांसो में ,
कस्तूरी महकते  ,
अपने जजबात हों .

सावन के झूलों में,
 वर्षा की बूंदों में,
 प्रेम से भीगते  ,
हम  एक  साथ हों ..
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शिव प्रकाश मिश्र
  मूल कृति अगस्त १९८१ 
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