रात्रि सपने में जो देखा था,
वही रंग दिन में उभर आया .
खामोशिया गुदगुदी कर गयी,
दिल में ही दर्पण सा नजर आया.
पवन के मात्र लघु झोंके से ,
सुगंधों का बड़ा तूफ़ान आया.
सौंदर्य की झलकियाँ ऐसी कि,
चित्रकारों पर तरस आया,
मुग्ध हो भानु ने जब देखा ,
धरा को नाचते पाया......
```````````````````````````````````
- शिव प्रकाश मिश्र
- S.P.MISHRA
वही रंग दिन में उभर आया .
खामोशिया गुदगुदी कर गयी,
दिल में ही दर्पण सा नजर आया.
पवन के मात्र लघु झोंके से ,
सुगंधों का बड़ा तूफ़ान आया.
सौंदर्य की झलकियाँ ऐसी कि,
चित्रकारों पर तरस आया,
मुग्ध हो भानु ने जब देखा ,
धरा को नाचते पाया......
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- शिव प्रकाश मिश्र
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